जब आया एक अनोखा विश्वास (When a strange belief came)
नदी घड़ियालों से भरी थी , आकाश मच्छरों से , तटीय प्रदेश लम्बी घासों से , जिनमें विषैले सर्पों की गणना नहीं। वन में शेर , तेंदुएँ , चीते। पेड़ों पर भी शरण लेना मुश्किल था। वहाँ भी साँप और तेंदुएँ छलाँग लगा सकते थे। उसने सोचा भी नहीं था कि जर्मनी के इस इलाके में उसे रात बितानी पड़ेगी। सूरज डूबने के पहले वे लौट जाएँगे ऐसा उसका विचार था। लेकिन सूरज कब के पश्चिम में पहुँच चुके और अभी पता नहीं वह कहाँ है ? कितनी दूर है यहाँ से उसका शिविर ? किसी भी नक्शे में इधर की नदी के मोड़ों एवं उसकी धाराओं का स्पष्ट अंकन नहीं है। दलदल से भरे इस इलाके में आने का साहस कितनों को है। जब सुबह वह चला था , सबने रोका था उसे एक अनजाने प्रदेश में केवल अनुमान के भरोसे जाना ठीक नहीं , यह चेतावनी उसे न जाने कितनी बार मिली थी , पर वह शिकारी कैसा जो डर जाए ? सिर्फ एक मल्लाह तैयार हुआ था साथ चलने को , वह मल्लाह इस ओर एक बार आ चुका था। आया वह भी था दुर्घट...