दृढ़ विश्वास से भगवत दर्शन
किसी गाँव में एक चोर रहता था। वह रात को चोरी करने के लिये निकला। एक महाजन के यहाँ हरि कथा हो रही थी , उसमें पण्डितजी भगवान के आभूषणों का वर्णन कर रहे थे कि उन्होंने अपने शरीर पर वेशकीमती आभूषण धारण किये हैं , सोने का रत्न जड़ित मुकुट है , गले में कीमती कंठे शोभायमान हैं , ये शब्द चोर के कान में पड़े उसने वह माल चुराने का निश्चय किया। उसने सोचा इसका पता पण्डितजी को है। वह वहीं छिपकर बैठ गया। कथा समाप्ति के बाद पण्डितजी सामान बटोरकर घर रवाना हुये , चोर ने रास्ते में घेर लिया और कहा कि या तो जो तुम्हारे पास माल है दे दो , नहीं तो उस आदमी का पता बताओ कि जिसके शरीर पर करोड़ों का माल है , जिसकी चर्चा तुमने अभी की थी। पण्डितजी घबरा गये उन्होंने पीछा छुड़ाने के लिये कहा कि वह आदमी जमुना किनारे जंगल में गायें चराता है व बंसी बजाता है। बस चोर पण्डितजी को छोड़ जम...