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संवेदना के मर्म में ही पूर्णता

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                                                 संवेदना के मर्म में ही पूर्णता   प्राचीन समय में एक नगर में  कण्व  नाम का व्यक्ति रहता था ।  वह काफी कष्टों के साथ समय व्यतीत कर रहा था ।   कभी   साधनों   का   अभाव ,  कभी   आजीविका   का   कभी   ज्ञान   का   अभाव ,  कभी   विवेक   का   कभी   शक्ति   का   अभाव ,  कभी   सामर्थ्य   का।   सब   मिलकर   इतने   जीवन   में   कण्व   को   न   कहीं   शान्ति   मिली   न   ही   सन्तोष।   उन्हें   मनुष्य   जीवन   में   सर्वत्र   अपूर्णता   ही   अपूर्णता   दिखाई   दी।   शरीर   भी   न   अपनी   इच्छा   से   मिलता   है ,  न   स्वेच्छा   से ,...