पैदल चलने का इलाज
देश में एक पहुँचे हुए सन्यासी रहते थे - वे प्रख्यात थे कि उनके इलाज से कठिन रोगों के रोगी अच्छे हो जाते हैं। एक सरदार सिर दर्द की बीमारी से बहुत दुःखी थे। उन्हें चारपाई पर छट - पटाते हुए ही दिन गुजारना पड़ता था। बहुत इलाज कराने पर भी जब कोई लाभ न हुआ तो लोगों ने उसे सन्यासी की ही दवा लेने के लिए कहा। सामन्त ने अपने गुमाश्ते नाम के व्यक्ति को बढ़िया सवारी लेकर सन्यासी के पास भेजे और प्रारम्भिक भेंट धन देने के अतिरिक्त इलाज का भारी इनाम मिलने का भी सन्देश भिजवाया। गुमाश्ते नियत स्थान पर पहुँचे। वहाँ एक हृष्ट - पुष्ट गाय चराने वाले के अतिरिक्त और कोई दिखाई न पड़ा। उन्होंने उसी से सन्त का पता पूछा। गाय चराने वाले ने कहा – ' मैं ही वह सन्यासी हूँ। " इस पर उन्हें बहुत अचम्भा हुआ। इतना बड़ा सन्त और चिकित्सक गाय चराने जैसा काम करे , इस जिज्ञासा को उन्होंने प्रस्तुत किया तो सन्त ने इतना ही कहा —' मैं प...