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निर्भयता और साहस की सिद्धि

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  दो   हजार   वर्ष   पहले   की   बात   है   कि   उज्जयिनी   नगरी   में   एक   युवक   रहता   था  वह   रूप   गुण   सम्पन्न   था ,  पर   उसे   एक   दमड़ी   की   भी   आमदनी   नहीं   होती   थी।   वह   गर्भ   दरिद्र   था ,  तो   भी   वह   स्वभाव   से   पराक्रमी   और   साहसी   था।   गरीबी   की   कठोर   ठोकरें   खाने   पर   भी   उसने   कभी   नीति   का   त्याग   नहीं   किया   था।   जब   अनेक   प्रयत्न   करने   पर   भी   उसे   स्वदेश   में   सफलता   न   मिल   सकी ,  तो   एक   भट्टमात्र   नामक   सच्चे   मित्र   को   लेकर   परदेश   को   रवाना   हो   गया।   उस समय एक ऐसी जनश्र...