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कामना और वासना का चक्रव्यूह

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कौरवों ने जब पाण्डवों को एक सुई के बराबर भूमि देने में भी आना - कानी की और भगवान कृष्ण के समझाने पर वह नहीं माने तो इसका परिणाम महाभारत के रूप में आया , जिसमें भारतवर्ष के प्रत्येक राजा ने भाग लिया था। असंख्य व्यक्ति परलोक सिधारे , करोड़ों रुपए की हानि हुई। दुर्योधन और उसके साथियों की हार हुई और पाण्डवों की विजय नेत्रहीन महाराज धृतराष्ट्र अपने लड़कों के मारे जाने के कारण बहुत दुःखी रहने लगे। स्थूल नेत्र तो पहिले ही भगवान ने उनसे छीन रखे थे , जिसके कारण वह इसके भौतिक संसार को देखने में असमर्थ थे , परन्तु अब उनके मन में भी अंधकार छा गया , मानो उनके लड़के उनके मन के प्रकाश दीप थे। उनकी आँखों से ओझल होने से उनके मन का दीप भी बुझ गया। महाराज युधिष्ठिर उनका बहुत सम्मान करते थे और इस बात का ध्यान रखते थे कि उनसे कोई ऐसी बात न हो जाये जिससे उनके मन को धक्का लगे परन्तु फिर भी वह निरन्तर दुःखी रहा करते थे। महात्मा विदुर संन्यास आश्रम ...