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दिसंबर, 2021 की पोस्ट दिखाई जा रही हैं

भय ही मृत्यु क्यों?

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  गरुड़ को द्वार पर ही छोड़कर भगवान विष्णु भीतर चले गये। विश्व व्यवस्था पर उन्हें शिवजी से देर तक चर्चा करनी थी। इतना समय कैसे काटा जाये ? अभी द्वार पर रुके गरुड़ यह सोच ही रहे थे कि उन्हें समीप ही दाने चुग रहा एक कपोत दिखाई दिया। उन्होंने संकेत से कपोत को समीप बुलाया और समय काटने के लिए उससे बातचीत प्रारम्भ कर दी। अभी वार्ता अच्छी तरह प्रारम्भ भी न हो पाई थी कि यमराज आ धमके। उन्होंने कबूतर की ओर एक अर्थपूर्ण दृष्टि डाली और न जाने क्या सोचकर हँस दिये। फिर बिना कुछ कहे अन्दर चले गये। यमदेव का अपनी ओर दृष्टिपात करके हँसना था कि कबूतर के प्राण सूख गये। कम्पित स्वर में उसने गरुड़ से कहा - " तात् ! यमदेव की हँसी अकारण नहीं हो सकती है। वे त्रिकालदर्शी और मृत्यु के देवता हैं , अवश्य ही मेरी मृत्यु आ गई है। इसीलिए वे मुझे देखकर हँसे। बन्धु ! मेरी सहायता करो , मुझे अविलम्ब यहाँ से हटाकर किसी सुरक्षित स्थान पर पहुँचा दो "  ...

पाप का बाप लोभ(Father of Sin Greed)

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तीन शूरवीर कहीं किसी कार्य वश जा रहे थे। रास्ते में उन्होंने देखा कि एक यात्री को रास्ते में किसी ने मार कर डाल दिया है। इस घटना पर दुःखी होते हुए वे आगे चले जा रहे थे कि एक विधवा स्त्री दिखाई पड़ी , जिसका सारा धन - धान्य दूसरे लोगों ने छीन लिया था और उसे मारपीट कर घर से भगा दिया था। इस घटना से भी उन्हें बड़ा कष्ट हुआ। आगे चलकर देखते हैं कि बाधक लोगों ने बहुत से निरपराध पशु - पक्षियों को मार - मार कर इकट्ठा कर लिया है। इससे आगे चले तो देखा कि एक से बाहर पड़ा हुआ किसान का परिवार झोंपड़ी से बाहर बिलख - बिलख कर रो रहा है और जमींदार के आदमी लगान के लिए उसके बर्तन कपड़े तक उठाये ले जा रहे हैं और उन्हें बार - बार मार पीट रहे हैं।   इन घटनाओं को देखकर उन तीनों का दिल पिघल गया और वे एक स्थान पर बैठकर सोचने लगे कि दुनिया में इतना पाप कैसे बढ़ता जा रहा है ? जिसके कारण लोग इस प्रकार दुःखी हो रहे हैं। उन्होंने विचार किया क...